LYRIC

Phire Faqeera lyrics in hindi from the movie, Pagglait. This song is sung by Raja Kumari, Amrita Singh & Arijit Singh. Music composition by Balaji Motion Pictures & Sikhya Entertainment with lyrics inscribed by Arijit Singh. The soundtrack album is released under Neelesh Misra & Raftaar label.

 

मन है कलंदर, मन है जोगी
मन जो चाहे, मन की होगी
फिर क्यूँ मन ने झूठ को पूजा?
दुःख तकलीफें सारी भोगी

कभी सदियाँ, कभी लम्हा
कभी मुश्किल, कभी आसां
कभी रूठी, कभी झूठी
कभी पूरी,कभी टूटी

कभी जुगनू, कभी तारा
कभी कम कम, कभी सारा
है बोले ज़िन्ग्दगी मीठा
ओ पर इसका स्वाद है खरा

रत्ती रत्ती माशा माशा
तिनका तिनका टूटी आशा
भोले है हम, समझ ना पाए
दुनिया का यह खेल तमाशा
रत्ती रत्ती माशा माशा
तिनका तिनका टूटी आशा
भोले है हम, समझ ना पाए
दुनिया का यह खेल तमाशा

पागल पागल पागल पागल पागल
फिरे फकीरा
रेत में देखो ढूंढे हीरा

पागल पागल पागल पागल पागल
फिरे फकीरा
जोगी कोई मंतर जंतर
जोगी कोई मंतर जंतर
फूंके तो कम होवे पीरा

पागल पागल पागल पागल पागल
फिरे फकीरा.आंसू चंडी, दर्द है सोना
धुप का टुकड़ा, याद का कोना

पागल पागल पागल पागल पागल
फिरे फकीरा
मन कठपुतली,मन है खिलौना
ले फिरता रिश्तों का बिछौना

आँखों मैं यह झाँक रहा है
मन का गदरिया हान्ख रहा है
अमृत बेचा करता था यह
ज़हर की पुड़ियाँ फान्ख रहा है
फ़ेंक मुखौटा, चेहरा देखा
भेस है बदला धीरा धीरा
टूटे लफ़्ज़ों को जोड़ा है

कविता कर लेगा कबीरा

फिरे फकीरा
पागल फिरे फकीरा
रेत में देखो ढूंढे हीरा
जोगी कोई मंतर जंतर
फूंके तो कम होवे पीरा
पागल!
(पागल पागल पागल पागल )

मैं राग्रीज़, कुम्हार भी मैं हूँ
नफरत मैं हूँ प्यार भी मैं हूँ
मुझमे सारा सत्र बसा है

कण हूँ, मैं संसार भी हूँ
पुनर्जन्म की रस्म करेंगे
रूह को अपनी भस्म करेंगे

मरघट में भी फूल खिलेंगे
ऐसा कोई तिलिस्म करेंगे
रत्ती रत्ती माशा माशा
तिनका तिनका टूटी आशा
भोले है हम, समझ ना पाए
दुनिया का यह खेल तमाशा

रत्ती रत्ती माशा माशा
तिनका तिनका टूटी आशा
भोले है हम, समझ ना पाए
दुनिया का यह खेल तमाशा

पागल पागल पागल पागल पागल
फिरे फकीरा
रेत में देखो ढूंढे हीरा
पागल पागल पागल पागल पागल

फिरे फकीरा
जोगी कोई मंतर जंतर
जोगी कोई मंतर जंतर

फूंके तो कम होवे पीरा
पागल पागल पागल पागल पागल
फिरे फकीरा.आंसू चंडी, दर्द है सोना
धुप का टुकड़ा, याद का कोना

पागल पागल पागल पागल पागल
फिरे फकीरा
मन कठपुतली,मन है खिलौना
ले फिरता रिश्तों का बिछौना
खुद को तोडा, ख़ुद को बनाया
खुद को रंगा खुद को सजाया
खुद को सांचा फोड़ दिया है
खुद को फिर से जोड़ लिया है

फेंक मुखौटा, चेहरा देखा
भेस है बदला धीरा धीरा
टूटे लफ़्ज़ों को जोड़ा है

कविता कर लेगा कबीरा

फिरे फकीरा
पागल फिरे फकीरा
रेत में देखो ढूंढे हीरा
जोगी कोई मंतर जंतर
फूंके तो कम होवे पीरा
पागल, पागल

पागल!


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